Kaju Ka Ped Kaisa Hota Hai | काजू का पेड़ कैसे उगाएं – Updated 2023
Save Earth Life2024-06-26T00:46:26+05:30काजू की तरह, काजू के पेड़ (Kaju Ke Ped) के अधिकांश हिस्सों का एक महत्व होता है और मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। स्वादिष्ट काजू और जरूरी तत्वों ने काजू के पेड़ को बहुत लोकप्रिय बना दिया है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि (Kaju Ka Ped) काजू का पेड़ कैसे उगाया जाता है? आप में से कुछ लोगों को इस बात का अंदाजा हो सकता है कि काजू के पेड़ को कैसे उगाया जाता है और उसकी देखभाल कैसे की जाती है, लेकिन आप में से कुछ अभी भी सोच रहे होंगे कि आप काजू के पेड़ को उगा सकते हैं या नहीं। तो हाँ आप बिल्कुल उगा सकते है। इस ब्लॉग में हम इस बारे में बात करेंगे की (Kaju Ke Ped) काजू के पेड़ की क्या आवश्यकताएं हैं और उन्हें कैसे उगाएं?
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Toggleकाजू का पौधा कैसा होता है? - Kaju Ka Ped Kaisa Hota Hai
काजू के पेड़ का वैज्ञानिक नाम: Anacardium occidentale
काजू का पेड़ (Kaju Ka Ped) एक सदाबहार पेड़ है जो हमें काजू और काजू का फल प्रदान करता है और आमतौर पर उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहां बारिश कम होती है। (Kaju Ke Ped) काजू के पेड़ों की ऊंचाई 9 से 14 मीटर तक होती है। आमतौर पर (Kaju Ka Ped) काजू का पेड़ किसी भी मिट्टी में उग सकता है पर रेतीली मिट्टी काजू के पेड़ के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
कच्चे काजू में एक कठोर ऊपरी लेयर, घुमा हुआ आकर और डंठल होते हैं जो नाशपाती के आकार में निकलते हैं। (Kaju Ka Ped) काजू के पेड़ का फल अपने आप नहीं खुलता। काजू के फल में से काजू की गिरी निकालने के लिए पूरी देखभाल और ज्ञान की आवश्यकता होती है।
काजू के पेड़ को कैसे उगाए? - How to Grow Kaju Tree in Hindi
यदि आप भारत जैसे देश में रहते हैं तो आप काजू की खेती आसानी से शुरू कर सकते हैं। (Kaju Ke Ped) काजू के पेड़ को उगाने के लिए तापमान ना तो बहुत ठंडा और ना तो बहुत गर्म होना चाहिए। काजू का पेड़ लगाते समय तापमान का जरूर ध्यान रखें तापमान (10 ºC) से नीचे नहीं होना चाहिए और (40 ºC) से अधिक भी नहीं होना चाहिए | तापमान (10 ºC) से (40 ºC) के बीच होना चाहिए । बर्फ से मुक्त किसी भी स्थान पर आप काजू की खेती शुरू कर सकते हैं।
(Kaju Ke Ped) काजू के पेड़ (10 ºC) से (40 ºC) के तापमान वाले वातावरण में उगने के लिए सरल होते हैं और थोड़े से पानी और सामान्य मिट्टी पर जीवित रह सकते हैं। (Kaju Ke Paudhe) काजू के पौधों को रोजाना 5 से 7 घंटे धूप की जरूरत होती है।
काजू उगाते समय, तकनीक, जल स्तर और हुमीडीटी सहित कई चीजों का ध्यान रखना होता है। आइए अब (Kaju Ke Ped) काजू के पेड़ों को उगाने के लिए कुछ विशेष बातों के बारे में जाने।
काजू के पौधे लगाने का मौसम
काजू के पेड़ (Kaju Ka Ped) लगाना बारिश के मौसम की शुरुआत में सबसे अच्छा होता है। इसके अतिरिक्त पूरे बरसात के मौसम में, काजू के पेड़ अच्छी तरह उगते है। भारत में पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय तब होता है जब बारिश का मौसम लगातार बना रहता है, जो अक्सर जून से अगस्त तक होता है।
काजू के पेड़ों के बीच की दूरी
रोपण के दौरान काजू के पेड़ों (Kaju Ka Ped) के बीच दूरी पर पूरा ध्यान दें। काजू के पेड़ को ज्यादा मात्रा में लगाने से उनसे ज्यादा लाभ लिया जा सकता है। जब ये पेड़ थोड़े बड़े हो जाते है तो दो पेड़ों के बीच से एक को हटा कर नयी जगह पर लगा दें।
- पेड़ लगाने के समय उनके बीच की दूरी 48 या 50 मीटर होनी चाहिए
- फिर पेड़ को बढ़ने के लिए उन्हें नयी जगह लगा दें ताकि उन्हें उगने में दिक्कत ना आये।
गड्ढा खोदने की विधि
हमेशा बॉक्स के आकार का एक गढ़ा बनाये जो जमीन के नीचे 60 cm गहरा होना चाहिए। खुदाई के दौरान गड्ढे की गंदगी और ऊपरी परत को हटा दें और काजू का पेड़ (Kaju Ka Ped) लगाने के बाद गड्ढे को भर दें। गड्ढे को भरने के लिए उसी मिट्टी का इस्तेमाल करें जो वहां पहले से मोजूद है।
काजू के पेड़ों की अन्य आवश्यकताएं: धूप, तापमान, वर्षा और मिट्टी
काजू का पेड़ (Kaju Ka Ped) एक बहुत महत्वपूर्ण पौधा है। बढ़ते समय उन्हें उचित देखभाल और ध्यान देने की आवश्यकता होती है। काजू के पेड़ को उगाने के लिए 4 चीजों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है: धूप, तापमान, वर्षा और मिट्टी।
मिट्टी:
हम काजू के पेड़ (Kaju Ke Ped) की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं। काजू का पेड़ (Kaju Ka Ped) रेतीली मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ सकते है जहां 3-6 मीटर की गहराई पर मिट्टी के नीचे पानी पाया जाता है। इसके अतिरिक्त, काजू के पेड़ लाल मिट्टी में बहुत अच्छी तरह से विकसित हो सकते हैं।
काजू के पेड़ को बढ़ने के लिए चिकनी मिट्टी, चट्टानी परतों वाले पहाड़ी इलाके की मिट्टी, और ढीली रेतीली मिट्टी अनुपयुक्त होती है। यह मिट्टी काजू के पेड़ से कोई फल नहीं दे पाती है।
धूप:
काजू के पेड़ (Kaju Ke Ped) पूर्ण सूर्य के प्रकाश में बढ़ सकते हैं और शाखाओं पर फल दे सकते हैं, इसलिए अच्छी उपज के लिए सही मात्रा में धूप प्राप्त करने के लिए उन्हें अकेले उगाया जाता है। काजू का पेड़ लगाने के बाद पौधा अधिक धूप की मांग करता है।
काजू के पौधे को रोजाना 5 से 7 घंटे धूप की जरूरत होती है।
वर्षा:
काजू के पेड़ (Kaju Ke Ped) की वृद्धि के लिए 1,000-2,000 mm वर्षा जरूरी होती है। बरसात का मौसम और सर्दियों की ठंडी हवाओं का मौसम, दोनों ही मौसम में काजू के पेड़ को उगाया जा सकता है। काजू के पेड़ पूरे बारिश के मौसम में पोषक तत्वों को विकसित और स्टोर करते हैं ताकि गर्मी का मौसम आने पर वे खिलें और अच्छे फल दें।
तापमान:
काजू ट्रॉपिकल वातावरण में पनपता है और विशेष रूप से ठंड वाले तापमान में अच्छा उग सकता है। हालांकि काजू 7 से 46 डिग्री सेल्सियस में भी आराम से बढ़ सकता है।
काजू के पेड़ के लिए पानी की आवश्यकता
काजू के पेड़ों (Kaju Ka Ped) को पानी की आवश्यकता मौसम के हिसाब से और पौधों की वृद्धि के चरण पर निर्भर करती है। काजू के पेड़ के लिए पानी की आवश्यकता को यहाँ समझाया गया है जिसकी मदद से आप अपने काजू के पेड़ों को पानी देने पर विचार कर सकते हैं –
- छोटे काजू के पेड़ को दिन में दो बार पानी दें - जब काजू का पेड़ (Kaju Ka Ped) छोटा हो तब काजू के पेड़ को रोजाना दो बार पानी देना न भूलें- एक बार सुबह और एक बार शाम।
- गर्मी के मौसम में पानी देना - जब काजू का पेड़ बढ़ कर लंबा हो जाये तब वह बारिश के मौसम में अपने आप जीवित रह सकता है। यह सुनिश्चित करने में सहायता करता है कि काजू के पेड़ का जड़ बढ़ चूका है या नहीं और अत्यधिक गर्मी के बावजूद पेड़ को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी सोख रहा है या नहीं। हालाँकि, आपको गर्मी के मौसम में तब तक पानी देना जारी रखना चाहिए जब तक कि रोपाई छह या सात महीने की न हो जाए।
- काजू का पेड़ बढ़ जाने के बाद उसमें पानी देना - काजू के लम्बे पेड़ों को पानी देना मुश्किल है क्योंकि इसमें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इन लंबे काजू के पेड़ को धरती के अंदर जमा हुआ पानी मिलता है, जो वर्षा के दौरान इकट्ठा होता है। काजू के पेड़ को हर साल 500 mm बारिश की जरूरत होती है। हालाँकि, यदि सर्दी के मौसम के दौरान, सप्ताह में एक या दो बार भी भरपूर पानी उपलब्ध हो, तो काजू का पेड़ (Kaju Ka Ped) आसानी से उग जाएगा और अधिक काजू पैदा करेगा।
काजू के पेड़ को उगाने की विधि - Steps to Grow Kaju Tree in Hindi
काजू के पेड़ (Kaju Ka Ped) की सभी आवश्यकताओं पर विचार करने के बाद, काजू के पेड़ को अपनी आवश्यकता और जमीन की उपलब्धता के अनुसार लगाना शुरू करें। काजू के पेड़ को लगाने के लिए:
चरण 1: दुकान से कुछ ताजे बीज या एक छोटा पौधा खरीदकर सूखी जगह पर रख दें।
चरण 2 : दो काजू के पेड़ों के बीच की दूरी और आवश्यकता के अनुसार खुदाई की गहराई को ध्यान में रखते हुए एक छोटा गाढ़ा खोदें जहां पर्याप्त धूप उपलब्ध हो।
चरण 3: पेड़ या बीज को गढ़े के बीच में रखें और रेतीली मिट्टी से ढक दें।
चरण 4: फिर से सुनिश्चित करें कि बीज या छोटा Kaju Ka Paudha (काजू का पौधा) मिट्टी के अंदर है या नहीं।
चरण 5: बीज या पेड़ के चारों ओर 15 cm का एक छोटा सा गोला बनाएँ और मिट्टी को घेरे के अंदर थोड़ा ऊपर उठा दे।
चरण 6 : यदि मिट्टी बहुत अधिक सूखी है, तो मिट्टी को नम और गीला रखने के लिए इसे नियमित रूप से दिन में दो बार पानी दें।
चरण 7 : एक सप्ताह के बाद कुछ खाद लें और पौधे की आवश्यकता के अनुसार पौधे को दें। यदि पौधा फूलना शुरू कर चुका है, तो केवल कुछ मात्रा में खाद दें और यदि पौधे ने एक या दो सप्ताह में कोई गतिविधि नहीं दिखाई है, तो पर्याप्त मात्रा में खाद प्रदान करें।
चरण 8 : 3 महीने के बाद, कुछ और खाद दें और यदि आपका पेड़ पहले से ही झाड़ी में विकसित हो चूका है तो उसे छांट लें।
काजू के फायदे - Benefits of Kaju in Hindi
काजू के पेड़ से मिलने वाला काजू खाने में बहुत स्वादिष्ट और सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है। आमतौर पर एक दिन में 4 से 5 काजू खाने की सलाह दी जाती है पर कुछ कारणों से आपको ये ज्यादा और कम लेने की सलाह दी जा सकती है। बच्चों और खिलाड़ियों को काजू खाने से काफी फायदे मिलते है। काजू खाने के कुछ फायदे है –
- काजू में मौजूद मिक्रोनुट्रिएंट्स (Micronutrients) हृदय के स्वास्थ्य को ठीक रखते है।
- काजू कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने में भी मदद करता है।
- National Library of Medicine के अनुसार, काजू का सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रड में रहता है।
- काजू में फाइबर (Fiber) पाया जाता है जो आपके पाचन शक्ति को बढ़ाता है और पेट की समस्या होने से बचाता है।
- काजू खाने से हड्डियों की बीमारी जैसे की ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की संभावना कम हो जाती है।
- काजू खाने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते है।
काजू के पेड़ का दाम और काजू की गिरी का रेट भारत में कितना है? - Updated 2023
काजू एक बहुत महंगा पेड़ है जिसे बहुत देखभाल की आवश्यकता होती है। 2023 में काजू के पेड़ की कीमत अलग अलग शहर में अलग होती है। यह दाम मौसम के अनुसार घटता और बढ़ता रहता है। काजू के पेड़ के बीज का दाम मात्र ₹150 से शुरू होता है और ₹500 तक जा सकता है। एक काजू के पेड़ से 8 से 10 किलो काजू मिलता है जिसका दाम बाजार में ₹1200/किलो से शुरू होता है और ₹1500/किलो तक जाता है।
काजू के पेड़ का सारांश
- काजू उगाने वाले क्षेत्र का तापमान 10 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
- काजू के पेड़ को सफलतापूर्वक उगाने के लिए लगभग 10 cm गहरा गड्ढा बना लें।
- प्रत्येक काजू के पेड़ को फलने-फूलने के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करने के लिए पेड़ों को 9.1 मीटर अलग उगाए।
- सबसे अच्छे परिणाम ताजे बीज का उपयोग करने से आते हैं।
- काजू के पेड़ लाल मिट्टी या रेतीली मिट्टी में अच्छे से उगते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
काजू की खेती सबसे अच्छी बरसात के मौसम में होती है। काजू के पेड़ की खेती के लिए –
- अपने खेत में गढ़े 60 cm का गढ़ा बना लें
- हर एक काजू के पेड़ के बीच में 7 – 8 meter की दुरी रखें
- पेड़ को गड्ढे में लगाए और बची हुई मिट्टी से ढक दें
- काजू के पेड़ को पर्याप्त पानी दें और सिंचाई करें
काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर लंबा पेड़ होता है, जिसमे काजू के सेब उगते है और उनसे काजू निकला जाता है। यह पेड़ घूमे हुए आकार का होता है जो नाशपाती के आकार का होता है।
काजू की खेती के लिए खेत की 2-3 बार जुताई कर दें। इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेन चाहिए जिससे नये पौधों को पनपने में कोई कठिनाई न हो। इस बात का ध्यान रखें की खेत में किसी प्रकार के पत्थर नहीं होने चाहिए।
काजू का उपयोग आमतौर से मिठाई, दवा और तेल के रूप में किया जाता है।
काजू के पेड़ का बीज किसी भी अच्छे नर्सरी पर मिल सकती है। या आपको काजू के बीज किसी भी सरकारी संस्था से मिल जाएगा।
काजू के पेड़ का दाम पेड़ की लम्बाई पर निर्भर करता है। छोटे काजू का पेड़ ₹150 से शुरू होता है और उसकी लम्बाई के आधार पर 600 तक जा सकता है।
काजू का पेड़ जब पूरी तरह से बढ़ जाता है तब यह फल देता है। फल देने के लिए इसके पेड़ तीन साल में तैयार होते हैं।
काजू की खेती केरल, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तामिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में ठीक-ठाक स्तर पर की जाती है. हालांकि, अब इसकी खेती झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी की जाने लगी है।